बी,पी,एल का गेहूं ट्रेक्टरों से जा रहा है, विकने को खुले बाजार में

*बीपीएल का गेहूं ट्रैक्टर के  ट्रैक्टर बिच रहे हैं प्रशासन क्यों है मोन*??
 
करैरा शिबपुरी...गत 25 जनवरी को दिनारा गोदाम से दो ट्रैक्टर जिनमें 8-8 टन माल भरकर दिनारा के एक निजी व्यापारी के गोदाम में बेच गए। करैरा का खाद्य प्रशासन एवं राजस्व अमला क्या खाकर मौन हो गया। आखिर क्यों है शांत! गरीबों का गेहूं ग्राम पंचायत बांसगढ़, ग्राम पंचायत पारागढ़ के सैकड़ों गरीबों का गेहूं  लोग खा गए और गरीब दर-दर की ठोकरें खाता फिर रहा है।
 उनकी कोई नहीं सुन रहे हैं। 25 जनवरी को जब बिल कटा तो गेहूं 25 जनवरी की रात तक पहुंच जाना चाहिए। मगर आज दिनांक तक गेहूं न पहुंचना कितना बडा गोलमाल है। इस तरह अनुविभाग करेरा में कई दुकानों का माल प्रतिमाह पूरा का पूरा बेच दिया जाता है और उपभोक्ताओं के अंगूठा दो-दो माह के लगवा लेते हैं, और 1 माह का गेहूं दिया जाता है और कहते हैं कि यहां गेहूं नहीं आया है। इसी प्रकार से करेरा का परिवहन का ठेका डबरा के एक व्यवसाई के नाम पर है जो उसकी सहमति से करेरा के आला अधिकारियों की मिलीभगत से ट्रैक्टर के ट्रैक्टर बेचे जा रहे हैं। कोई सुनने को तैयार नहीं है। परिवहन में जो ट्रैक्टर लगाए गए हैं वह मात्र कृषि उपयोग के हैं उसमें आरटीओ विभाग के टैक्स की चोरी भी की जा रही है। जबकि परिवहन में लगाए गए ट्रैक्टरों का ट्रैक्टर ट्रॉली का दोनों का रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है। ग्राम पारागढ़ व ग्राम अमोलपठा के नागरिकों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर मांग की है कि ऐसे भ्रष्ट कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कराया जाए अन्यथा हम ग्रामीण जन आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
कहा सो रहा है खाद्य अमला, राजस्व प्रशासन??
गरीब ग्रामीणों के साथ हो रहे धोखाधड़ी कर उनके पेट का निवाला बेचा जा रहा है। कैसे होता है बड़े बड़े लोगो को हजम।
बिधायक व मंत्री को प्रशासन जांच के नाम पर गुमराह।  
कल फिर एक गांव का माल बेचा गया। 
दिनारा गोदाम से माल उठाने के बाद सीधा टेक्टर वही के एक बड़े मिल में जाता है